हमनी के सिरिसिया नदी

हमनी के सिरिसिया नदी

शहर और जादा शुन्दर आ स्वच्छ रहित।

अगर शासक इहा के निश्पक्ष रहित।

सिरिसिया नदीके रुकत बा ना प्रदुषण।

मानावे ना सकल जाला अच्छा से महान छठ पर्व।

जब कि जुडल बाटे एसे हमनी सब के एमोसन।

स्वस्थ वातावरण मे जिये के हक रहित।

अगर नागरिक समाज इहा के सशक्त रहित।

मिलल जुलल इहा के कहेवाला नागरिक समाज बा।

प्रतिपक्ष के कौनो ना भुमिका ना आवाज बा।

हावा मे इहा के सुगन्ध बहित।

अगर शासक इहा के निश्पक्ष रहित।

का मतलब रहल संविधान के उ स्वच्छ वातावरण हक के।

एकर प्रदुषित पानी स्वस्थ खराब करेला हजारो आदमी सब के ।

सफा स्वच्छ सिरिसिया नदि के अभियान रहित।

अगर शासक इहा के निश्पक्ष रहित।

लोप भइल जाता परम्परा कार्तिक नाहान।

पीडित बा लाखो बासिन्दा आ हजारौं माकान।

प्रदुषण करेवाला के पसेना छोडा दिहित।

अगर शासक इहा के निश्पक्ष रहित।

नइखे कौनो डर इहा के ब्यापारी के।

नाहाये धोयाये के त बाते हाटा दि।

सिचाइ के लायक भि काम नइखे एकर पानी के।

शहर और जादा शुन्दर आ स्वच्छ रहित।

अगर शासक इहा के निश्पक्ष रहित।

पहिले वाला त खुदे ब्यापारी रले,

बिरगंज के बेटा से भि कुछ ना भइल।

धार्मिक परम्परा आ स्वच्छ वातावरण सब गइल।

जनता इहा के और निमन कहित।

अगर शासक इहा के निश्पक्ष रहित।

स्थानिय सरकार सन्चालन ऐन के नइखे कौनो काम।

सब कुछ बिकाउ बा इहा सब के बा आपन आपन दाम।

आढाइ सय फेकट्री के फुहर सब प्रत्यक्ष ना बहित।

अगर शासक इहा के निश्पक्ष रहित।

उधोग आ उत्पादन त जादा बा विकसित देश सब मे।

प्रशोधन केन्द्र समाधान बा।

सिर्फ जादा नाफा ना देखल जाला बिदेश सब मे।

इ कटाक्ष कबो केहु ना कहित।

अगर शासक इहा के निश्पक्ष रहित।

सेटिङ्ग के काम नैखे अन्डर टेबल के।

उच्च बाटे केमिकल प्रदुषण लेबल के।

पानी इहा के निर्मल बहित।

अगर शासक इहा के निश्पक्ष रहित।

 

लेखक: सुधिर पन्डित

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