शिव: अछोर अनहद
शिव: अछोर अनहद

शिव—एगो नाँव ना, एगो भाव ह, एगो धारा, एगो उमंग। शिव के चिन्तन कइला से मन के जवन नीरव कोना बा, ओहू में गूंज सुनाई देला। शिव के जवन संकल्प बा, ओहमें एके साथ बिनाश आ सृजन के संगीत बजे ला। शिव में एगो विराट मौन बा, जेकरा भीतर अनगिनत राग-रागिनी बजत रहेला। उहे अन्हियार के राजा हउवें, उहे प्रकाश के देव। उहे शमशान के बासिन्दा हउवें, उहे जीवन के ऊर्जाकेंद्र।
कहाला कि शिव जोगी हउवें, मुदा ई जोग एगो अइसन संकल्प ह, जवन दुनिया के सबसे बेसी गतिशील आ ऊर्जावान बना देला। शिव के ध्यान में बैसल आदमी के मन जवन निस्पंद हो जाला, उहे से नया-नया भाव पैदा होखेला। शिव के ताण्डव में जवन विनाश बा, ओहमें नव-सृजन के अंकुर पसरल बा। ई जवन विष पियनिहार हउवें, ओही के कंठ से अमृत के धार बहे ला। ऊ अइसन छवि हउवें जेकरा अंजोर में जवन देखल जाला, ओहसे बेसी जवन ओझल बा, उहो नजरि में आ जाला।
गांव के पुरुखन से सुनेनी कि शिव एगो देवता ना, शिव त खुद एगो लोक बा, एगो दर्शन ह, एगो रूप, एगो गति। शिव के गाथा से बुने जाल में दुनिया के सगरी छाँह समा जाले। शिव से बड़ सुख साधारणता में मिले ला। जल-धार में, ओस के कनी में, चान के चंचल उजास में, मन के अन्हरिया कोठरी में, माटी के सौंधापन में, जइसे जीवन में। शिव के स्वरूप एही माटी से बनल बा। एगो माटी के देवता, जेकर देह धू-धू के जरत रहे, फेर भी ऊ जरा ना, मेटा ना, खतम ना होला।
शिव में एगो बिरोधाभास के सौंदर्य बा। ई देवता अइसन ह, जेकरा समुन्दर के गहिराई से भी नापल ना जा सके। जिनगी के ऊ साँच ह, जवन असंभव जइसन लागेला, लेकिन ओही से साँच के जवन धार निकलेला, ओहसे समस्त सृष्टि सींचाइल रहेला। शिव के माथे पर जवन गंगा बहेले, ऊ सिरिफ जलधारा ना, ऊ एगो लोक-परलोक के जोड़त सेतु ह।
गंगा शिव के जटा में समा गइल त उ फेरो एगो नया रूप ले लिहलस। पानी बहेला, लेकिन शिव के माथे पर आके ऊ ठहर जाला। ठहरल पानी, जवन बहे के तइयार बा, आ बहे वाला पानी, जवन एक समय ठहरो सकेला। शिव के जटा में बहत गंगा सिखावेला कि गति आ ठहराव, दुनु के संतुलन केतना जरूरी बा।
शिव के हाथ में त्रिशूल, ई त्रिशूल तीन काल के प्रतीक ह—भूत, वर्तमान आ भविष्य। ऊ ना सिर्फ काल के धारक हउवें, ऊ ओकर नियंत्रक भी हउवें। समय के बान्हे में शिव बन्हाइल ना, समय ओहके आगे नतमस्तक बा। शिव के आंख जवन खुलेला, त एगो नया युग के शुरुआत हो जाला, आ जवन मूँद जाला, त सगरी विश्व मौन में डूब जाला।
शिव के सृष्टि से जुड़ल एगो सबसे सुगंधित छवि ह—बेल-पात। शिव के पूजा में बेलपत्र के महत्व अइसन बा, जइसे प्रेम में समर्पण। बेल-पात जवन एगो साधारण पात बा, शिव ओही के अपनारेलें। ऊ जवन असामान्य चीज सभे में सुगंध खोजत रहलें, उहे त शिव हउवें। ऊ त ई बतावेलन कि सबसे मामूली चीज में सबसे बेसी अपनापन बा। शिव में जे सहजता बा, ऊ दोसर केकरो में नइखे।
शिव के स्वरूप में जवन बैराग्य बा, ऊ असल में एगो अनासक्ति के गीत ह। ई बैराग्य अइसन नइखे कि मनुष्य जीवन से भाग जाव, बलुक ई त सिखावेला कि जीवन के सच्चाई में रमल जाव। शिव जोगी हउवें, लेकिन गृहस्थो हउवें। ऊ पार्वती के प्रिय हउवें, लेकिन निर्लिप्तो हउवें। प्रेम आ वैराग्य दुनु में जेकरा सन्तुलन करेला, ओही के शिव कहाला।
शिव के गाथा सिरिफ कथा नइखे, ई त जवन समाज के रग-रग में समाइल बा। शिव के बिना कवनो गांव के कथा अधूरा बा। शिव माटी के गंध हउवें, नदी के लय हउवें, राग के रस हउवें, आ भाव के उफान हउवें। उहो देवता हउवें, आ उहो अपनापन के छाँह हउवें।
शिव के ताण्डव, शिव के संगीत, शिव के मौन—ई सब कुछ एगो परस्पर विरोधी दुनियाँ में समाहित होके एगो अद्भुत संगीत पैदा करेला। ई शिव के कविता ह, जवन धड़कता ह, जवन सिहरता ह, जवन जिनगी के हर कोना में नया अर्थ देला। शिव एगो परिकल्पना नइखे, ऊ त एगो अनुभूति ह, एगो संवेदना ह, एगो अइसन मौन गीत, जेकरा सुने बिना आदमी अधूरा रह जाला।
शिव से सिखे के मतलब ह—निश्छल होखे, लेकिन निर्मम भी। कोमल होखे, लेकिन कठोर भी। प्रेम करे, लेकिन बंधे मत। जीवन जिए, लेकिन मृत्यु से डरे मत। जिनगी के जवन रस बा, ऊ शिव में सबसे बेसी बा। रस के तृप्ति, आ तृप्ति के पियास, दुनु ओही के भीतर समाइल बा।
शिव के भस्म लगावल देह जवन कहे ला, ऊ एगो नया दृष्टि ह—कि सब कुछ एक दिन राख हो जाई, फेरो उहे राख जिनगी के नवा कलेवर देला। शिव के माथे पर चन्द्रमा, ई संकेत देला कि शीतलता आ धधकत अग्नि, दुनु एके साथ रह सकेला। ई शिव के दर्शन ह—विरोध में एकता, विष में अमृत, मौन में संगीत, आ धधकत अग्नि में शीतलता।
शिव जवन स्वरूप ह, ऊ सिर्फ एक देवता के नइखे, ऊ त सगरो जिनगी के प्रतीक ह। जिनगी जइसे शिव, आ शिव जइसे जिनगी। उहे हमरा लोक के आधार, उहे हमरा मन के शान्ति। उहे कविता, उहे गीत, उहे मौन, उहे नाद—सब कुछ शिवा बा
परिचय दास प्रोफेसर , हिन्दी विभाग
आ संयोजक, राजभाषा हिन्दी विभाग,
नव नालंदा महाविहार विश्वविद्यालय, नालंदा
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