कुछ त भइल बा
कुछ त भइल बा

अजित कुमार साह
दुख त कुच्छो आइलबा। तबे ई चेहरा मुर् झाइल बा ।।हसे हसावे वाला रोज के । आज खुद के हसी भुलाइलबा ।।
लकडी के जैसे सुख गइल बा देहिया पताना मनमेका समाइलबा ।।रहे वाला खुसी के छाउ मे आज जिन्दगीमे अन्धेरा छाइल बा ।।
लागत बा दिन जाईसे पहाड के चढाई गैर त गैर आपन के भी साथ छुटाइल बा ।।