प्रो. रवीन्द्र नाथ श्रीवास्तव ‘परिचय दास’ के ‘भागीरथी सम्मान’ से सम्मानित कइल गइल

प्रो. रवीन्द्र नाथ श्रीवास्तव ‘परिचय दास’ के ‘भागीरथी सम्मान’ से सम्मानित कइल गइल

नव नालंदा महाविहार , नालंदा ( सम विश्वविद्यालय, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार ) में आचार्य

प्रो. रवीन्द्र नाथ श्रीवास्तव ‘परिचय दास’ के ‘भागीरथी सम्मान’ दिहल गइल बा। ई सम्मान उनकरा के साहित्य आ कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान खातिर दिहल गइल बा।

प्रो. (डॉ.) रवीन्द्र नाथ श्रीवास्तव ‘परिचय दास’ के जीवन उनकरा बहुआयामी रचनात्मक योगदान आ विविध आयामन के गवाही देला। उनकरा जनम उत्तर प्रदेश के मऊ जिला के रामपुर कान्धी (देवलास) गाँव में भइल। पढ़ाई-लिखाई में ऊ हिंदी में पहिला श्रेणी से एम.ए. कइले आ दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय, गोरखपुर से पीएच.डी. कइले। साहित्यिक जगत में ऊ ‘परिचय दास’ नाम से बेसी जानेल जालन।

वर्तमान में ऊ नव नालंदा महाविहार (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार) के हिंदी विभाग में प्रोफेसर (आ पूर्व अध्यक्ष) के पद पर कार्यरत बाड़न। ईहंवा पहिले ऊ नव नालंदा महाविहार सम विश्वविद्यालय में प्रोवोस्ट ऑफ हॉस्टल्स, मीडिया आ जनसंपर्क-प्रभारी रह चुकल बाड़न। ऊ बाबा साहब अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ; दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, गया; मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ के भाषा-पाठ्यक्रम समिति के सदस्य रह चुकल बाड़न। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी के हिंदी-शोध समिति में भी सदस्य रह चुकल बाड़न।

ऊ ‘गौरवशाली भारत’ पत्रिका के प्रधान संपादक रह चुकल बाड़न आ भोजपुरी साप्ताहिक समाचार पत्र ‘समाचार बिंदु’ के प्रधान संपादक बाड़न। दिल्ली स्थित मैथिली-भोजपुरी अकादमी आ हिंदी अकादमी में ऊ सचिव (सीईओ) रह चुकल बाड़न। संस्कृति मंत्रालय के सांस्कृतिक स्रोत आ प्रशिक्षण केंद्र में उपनिदेशक (१९९५–२०२२) रहे के दौरान ऊ संपादन, शोध, प्रकाशन, अध्यापन, प्रशासन आ छात्रवृत्ति से जुड़ल काम सभ के दिशा दिहलें। ऊ राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, तिरुपति (डीम्ड विश्वविद्यालय) में २०२३ से विज़िटिंग प्रोफेसर आ बोर्ड ऑफ स्टडीज (हिंदी) के सदस्य भी रहलें।

उनकर काम के गत्यात्मकता राष्ट्रीय आ अंतरराष्ट्रीय दुनु स्तर पर देखे के मिलेला। राष्ट्रीय स्तर पर ऊ करीब १३० रचनात्मक कार्यक्रमन के संचालन कइलें, जिनमें साहित्य, संगीत, कला, नाटक सभ शामिल रहल। दिल्ली के लालकिला परिसर आ फिरोजशाह कोटला मैदान में राष्ट्रीय कवि सम्मेलन उनकरा निर्देशन में भइल। मुंबई के गेटवे लिटरेरी फेस्टिवल, बेंगलुरु के इंडियन बिजनेस अकादमी, दिल्ली विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, साहित्य परिषद आ संस्कृति मंत्रालय जइसन प्रतिष्ठित मंचन पर व्याख्यान आ अध्यक्षता कइलें।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काठमांडू (नेपाल) में साहित्य अकादमी के कार्यक्रम, दिल्ली में सार्क साहित्य सम्मेलन, गोरखपुर विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी आ “नाथपंथ के वैश्विक प्रदेय” सेमिनार में उनकर व्याख्यान आ अध्यक्षता उनकर विद्वता आ प्रतिष्ठा के प्रमाण देला।

उनकर साहित्यिक यात्रा सम्मान आ मान्यता से भरल बा। द्विवागीश सम्मान, श्याम नारायण पांडेय सम्मान, भोजपुरी कीर्ति सम्मान, एडिटर्स च्वाइस सम्मान, रोटरी क्लब साहित्य सम्मान, माटी के लाल सम्मान, दामोदर दास चतुर्वेदी सम्मान समेत अनेके पुरस्कार मिल चुकल बा।

शोध क्षेत्र में ऊ थारू जनजाति के सांस्कृतिक परंपरा पर विस्तृत काम कइलें आ ‘भारत के पारंपरिक नाट्य शैलियाँ’ (दू खंड), ‘आजादी के गीत’ जइसन महत्त्वपूर्ण किताब लिखलें। उनकर कविता आ आलोचना हिंदी साहित्य में आपन विशेष पहचान बनवलक।

उनकर प्रमुख कविता संग्रह ह — ‘संसद भवन के छत पर खड़ा होके’, ‘एक नया विन्यास’, ‘युगपत समीकरण में’, ‘पृथ्वी से रस लेके’, ‘चारुता’, ‘आकांक्षा से अधिक सत्वर’, ‘धूसर कविता’, ‘कविता चतुर्थी’, ‘अनुपस्थित दिनांक’। एहसे अलावा ‘भारत के पारंपरिक नाट्य शैलियाँ’, ‘प्रसन्न गद्य’, ‘एवम् अथवा’, ‘अतएव सर्वनाम’ भी उल्लेखनीय कृतियाँ बाड़ीं।

सम्पादक के रूप में ऊ ‘मनुष्यता के भाषा के मर्म’, ‘स्वप्न, संपर्क, स्मृति’ (सीताकांत महापात्र पर), ‘सर्जक भिखारी ठाकुर’ (भोजपुरी में) आ ‘रंगपूर्वी’ (कला पुस्तिका) के संपादन कइलें।

उनकर कविता आ लेखन जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय (छपरा), वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय (आरा) आ राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ (तिरुपति) के एम.ए. पाठ्यक्रम में शामिल बा। राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, तिरुपति में ऊ एम.ए. हिंदी पाठ्यक्रम तैयार कइलें आ लखनऊ स्थित डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में एम.ए. भोजपुरी अध्ययन-अध्यापन कार्य के शुभारंभ कइलें।

‘परिचय दास’ के परिचय विकिपीडिया पर भी मिलेला आ उनकर कविता poemhunter.com, हिंदी समय, अनुभूति.कॉम, अभिव्यक्ति.कॉम, कविता कोश, वेबदुनिया आ फेसबुक पर ‘परिचय दास’ नाम से उपलब्ध बा।

सम्प्रति ऊ नव नालंदा महाविहार, नालंदा (बिहार) में प्रोफेसर आ पूर्व अध्यक्ष के रूप में हिंदी विभाग से जुड़ल बाड़न आ साहित्य, शोध, आलोचना, कविता आ संस्कृति के दुनिया में सक्रिय योगदान दे रहल बाड़न।

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