प्रख्यात भोजपुरी चित्रकार वंदना श्रीवास्तव के भागीरथी सम्मान
प्रख्यात भोजपुरी चित्रकार वंदना श्रीवास्तव के भागीरथी सम्मान

नालंदा
प्रख्यात भोजपुरी लोक-चित्रकार वंदना श्रीवास्तव के भागीरथी सम्मान से सम्मानित कइल गइल बा। ई सम्मान भोजपुरिया लोककला के संरक्षण, संवर्धन आ आधुनिक संदर्भ में नवाचारी प्रस्तुति खातिर इनकर उल्लेखनीय योगदान के मान्यता ह।
वंदना श्रीवास्तव भोजपुरी लोक-चित्रकला के प्रतिष्ठित नाम बानी। आपन रचनात्मक दृष्टि, सांस्कृतिक संवेदना आ नयका रंग-भाषा के माध्यम से ऊ भोजपुरी कला के राष्ट्रीय आ अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलावे में महत्वपूर्ण भूमिका निभवले बानी। मूल रूप से राजस्थान के जोधपुर जिला में जन्मी वंदना के पारिवारिक जड़ आजमगढ़ जिला से जुड़ल बा। ऊ राजस्थान से इतिहास विषय में स्नातकोत्तर (एमए) कइले बानी आ वर्तमान में बिहार के नालंदा में निवास करेली।
इनकर कला-यात्रा पारंपरिक भारतीय लोककला आ भोजपुरी क्षेत्र के जीवंत संस्कृति के संगम से बनल एगो विशिष्ट शैली के पहचान करावेला। इनकर चित्रन में लोकविश्वास, देवी-देवता में आस्था, कृषि-संस्कृति, गाँव के औरतन के जीवन, तिहार-पर्व, प्रतीक आ अलंकरण के सुसंगत उपयोग देखे के मिलेला। बिंदु, रेखा, ज्यामितीय आकृति आ पारंपरिक प्रतीकन के आधुनिक शिल्पशैली में जोड़ के ऊ भोजपुरी चित्रकला के नवाचारी स्वरूप देत बानी।
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय वंदना श्रीवास्तव के सीनियर फेलोशिप खातिर चयन कइले बा। ई चयन इनकर शोध-आधारित कलाकर्म, कला-इतिहास के गहिर समझ आ भोजपुरी कला के संरक्षण आ प्रसार खातिर कइल जात निरंतर प्रयास के स्वीकारोक्ति ह। भोजपुरी कला पर इनकर व्याख्यान बीएचयू, वाराणसी; महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी; आ दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, गया में आयोजित हो चुकल बा। ऊ दिल्ली सरकार के साहित्य कला परिषद के सम्मानित सदस्य भी रह चुकल बानी।
इनकर कृतियाँ कई गो राष्ट्रीय स्तर के प्रतिष्ठित प्रदर्शनी में प्रदर्शित हो चुकल बाड़ी स। पटना में आयोजित राष्ट्रीय लोक-कला प्रदर्शनी में इनकर भोजपुरी शैली खास आकर्षण के केंद्र रहल। बिहार सरकार के संस्कृति मंत्री द्वारा भी इनकर कृतियन के अवलोकन कइल गइल। दिल्ली सहित कई शहरन में इनकर प्रदर्शनी आयोजित हो चुकल बा। इनकर पेंटिंग साहित्य अकादमी के पत्रिका ‘अक्षर पर्व’ आ ‘भोजपुरी साहित्य सरिता’ जइसन महत्वपूर्ण प्रकाशनन के कवर पर भी प्रकाशित भइल बा।
वंदना श्रीवास्तव के मानना बा कि भोजपुरी चित्रकला खाली सजावटी कला ना, बल्कि सांस्कृतिक स्मृति आ सामाजिक चेतना के सशक्त माध्यम ह। ऊ लोककलन के सरकारी स्तर पर सम्मानजनक स्थान आ कलाकारन खातिर टिकाऊ आजीविका के सवाल लगातार उठावत बानी। आधुनिक संचार माध्यम, खासकर सोशल मीडिया के प्रभावी उपयोग से ऊ नवजवान पीढ़ी में सांस्कृतिक जिज्ञासा भी जगावत बानी।
भागीरथी सम्मान मिलला के बाद कला-जगत में हर्ष के माहौल बा। वंदना श्रीवास्तव आज भोजपुरी चित्रकला के अग्रणी प्रतिनिधि के रूप में मानल जाली—एगो अइसन कलाकार, शोधकर्ता आ सांस्कृतिक दूत, जिनकर रचनात्मकता लोककला के नयी ऊँचाई आ नयी पहचान दे रहल बा।





