स्वामी विवेकानन्द आ महर्षि महेश योगी: सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य

स्वामी विवेकानन्द आ महर्षि महेश योगी: सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य

स्वामी विवेकानन्द आ महर्षि महेश योगी: सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य

परिचय दास

प्रोफेसर , नव नालंदा महाविहार विश्वविद्यालय , नालंदा

भारतीय संस्कृति हमेशा से अपने आध्यात्मिकता आ ज्ञान के गहराई खातिर जानल जाला। एकर परंपरा में स्वामी विवेकानंद आ महर्षि महेश योगी के नाम खास महत्त रखेला। ई दुनो महान विभूति भारत के सांस्कृतिक आ आध्यात्मिक विरासत के दुनिया के कोना-कोना तक पहुँचवले। दुनो का काम अलग-अलग राह पर रहल, लेकिन उद्देश्य एके रहे—मानव चेतना के उन्नति आ विश्व के शांति।

स्वामी विवेकानंद भारतीय वेदांत दर्शन के आवाज बनके उभरलें। ओह घरी, जब भारत गुलामी के बोझ में दबल रहे आ भारतीय संस्कृति के लोग पिछड़ल मानत रहे, तब स्वामी जी शिकागो धर्म महासभा (1893) में भारत के जोश आ गौरव के दुनियाभर में स्थापित कइलें। ऊ भारतीय वेद, योग आ ध्यान के माध्यम से मानवता के बड़का संदेश देहलें।

धार्मिक सहिष्णुता: विवेकानंद बतवले कि सब धर्म एगो बटवांरा ना, बलुक एगो मंजिल के ओर बढ़त अलग-अलग रस्ता ह। ई भारतीय संस्कृति के बहुलतावादी सोच के प्रमाण ह।

युवाशक्ति के महत्व: ऊ भारतीय युवाके भारत के पुनर्निर्माण में अहम भूमिका निभावे खातिर प्रेरित कइलें।

योग आ ध्यान: भारतीय योग परंपरा के दुनियाभर में प्रचारित कइलें, जे आज भारत के सांस्कृतिक पहचान बन गइल बा।

महर्षि महेश योगी ध्यान के साधना के वैज्ञानिक रूप में प्रस्तुत कइलें, जेकर नाम रहल “ट्रांसेंडैंटल मेडिटेशन” (टीएम)। ऊ बतवले कि भारतीय ज्ञान परंपरा ना खाली अतीत के गौरव ह, बलुक आज के तनाव भइल जीवन में एगो समाधान बा।

ट्रांसेंडैंटल मेडिटेशन: महर्षि योग आ ध्यान के एगो सरल आ प्रभावी तरीका दुनिया के सिखवले, जे आज करोड़ों लोग अपनवलें।

वैदिक विज्ञान: ऊ वेद के ज्ञान के आधुनिक विज्ञान से जोड़के प्रस्तुत कइलें। एकरा से भारतीय ज्ञान परंपरा के प्रासंगिकता अउरी बढ़ गइल।

विश्व शांति: महर्षि योगी विश्वास करत रहलें कि ध्यान आ आध्यात्मिकता के सहारे विश्व में शांति स्थापित हो सकेला।

स्वामी विवेकानंद आ महर्षि महेश योगी दुनो भारतीय संस्कृति के अलग-अलग पहलू के सामने रखलें। जहाँ स्वामी विवेकानंद वेदांत आ धर्म के गहराई के दुनियाभर में पहुँचवलें, उहवें महर्षि महेश योगी योग आ ध्यान के वैज्ञानिक रूप से स्थापित कइलें।

स्वामी विवेकानंद आ महर्षि महेश योगी भारतीय संस्कृति के दुनों छोर के प्रतिनिधित्व करेलें। एगो पारंपरिक आ दार्शनिक पक्ष के, त दूसरा आधुनिक आ वैज्ञानिक पक्ष के। ई दुनो महान विभूति भारत के अद्वितीय सांस्कृतिक पहचान के दुनियाभर में रोशन कइलें। भोजपुरिया संस्कृति भी इनका बात से प्रेरणा ले सकेले कि कइसे अतीत के गौरव के वर्तमान के जरूरत से जोड़ल जाला।

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