पुजा-पाठ और दान पुण्य के पावन महीना ह कार्तिक महीना।

विक्रान्त कुमार ठाकुर

वैसे त हर महीना में कवनो ना कवनो पर्व त्योहार जरूर होला। मगर कार्तिक महीना के अलग हीं महत्त्व बा। सावन महीना के बाद अगर कौनो महीना के सबसे ज्यादा महत्व बा त उ महीना बा कार्तिक। पूरा कार्तिक महीना के पुनीत व पावन महीना मानल जाला।

अईसन मानल जाला की पूरा कार्तिक महीना में भोरे भोरे उठ के गंगा स्नान कईला के बाद पूरा महीना पूजा कईला के बहुत ही महत्व बा,और काफी पुण्य मिलेला।

एही कार्तिक महीना में अमावस्या के दिन दीपों के पर्व दीपावली मनावल जाला जवन की पूरा देश काफी धूमधाम से मनावेला।दीपावली के दिन के पुराण में ऐसन मान्यता बा की एही दिन भगवान श्री राम चौदह वर्ष वनवास काट के अयोध्या लौटल रहनी।

दीपावली के दो दिन बाद गोवर्धन पूजा और कलम दवात के देवता चित्रगुप्त पूजा मनावल जाला। गोवर्धन पूजा महिला लोग और लड़की लोग अपना भाई खातिर मनावेला।

गोवर्धन पूजा से एक दिन पहिले गाय के गोबर इकट्ठा करके गोधन बाबा के स्वरूप देहल जाला,अउर अगला दिन भोरे भोरे उठ के परिवार के सब पुरूष सदस्य के मरे के श्राप दिहल जाला।

और बाद में गोवर्धन बाबा के मूसल से कूट देहल जला और बाद में अपना परिवार के उ पुरुष सदस्य जेके श्राप देहल गईल बा ओके खत्म करे खातिर वहीं गोधन बाबा के गोबर ले के दीवाल में चिपका जे एक महीना तक पूजल जाला तथा परिवार के पुरूष सदस्य के श्राप खत्म करे के मन्नत मंगल जाला।

एक महीना बाद गोधन बाबा के गोबर के नजदीक के नदी तालाब पोखर में प्रवाहित कर दिहल जाला, जवना के गांव में पिंडियां कहल जाला।

चित्रगुप्त पूजा के दिन भगवान चित्रगुप्त के पूजा भी काफी धूमधाम से कईल जाला। चित्रगुप्त पूजा के बाद ही 4 दिन तक चले वाला लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा आवेला जवना के महत्त्व के बखान जितना भी कईल जा कम बा।

चार दिन तक चले वाला ई व्रत के काफी कठिन मानल जाला।

नहाए खाए से शुरू होवे वाला ए पर्व के दूसरा दिन के खरना कहल जाला।जवना में महिला लोग पूजा से संबंधित सब बर्तन के साफ सफाई के साथ ही घर के साफ सफाई करेला लो।

खरना के दिन शाम के महिला लोग लकडी के चूल्हा पर गुड़ के रसियाव बना के पूजा पाठ कइला के बाद ओही के प्रसाद के रूप में ग्रहण करेला लो, साथ ही पूरा परिवार के भी उहे प्रसाद दिहल जाला। इकरा बाद् शुरू होला एह महापर्व के महा उपवास।

अगीला दिन सुबह उठकर पूरा घर के सब साफ सफाई कईला के बाद पूजा के प्रसाद ठेकुआ बनावल शुरू होला। जवना में महिला लोग एह प्रसाद के बनावल शुरू करेला लो।उहें पुरुष लोग छठ घाट के साफ-सफाई करें छठ घाट जायेला तथा अपना बैठे के जगह के साफ सफाई करेले।

प्रसाद के ठेकुआ बनला के बाद छठ घाट जाए के तैयारी शुरू होला अउर दुपहर के बाद जब शाम होखल शुरू होला त पूरा परिवार समेत व्रती महिला छठ घाट पहुंचे ली अउर पूजन पाठ के बाद संसार में दिखाई देने वाला पहिला देव भगवान भास्कर के डूबत स्वरूप के पूजा कइल जाला,उर पहिला अर्घ्य दिहल जाला।

दुनियाभर में भारत ही अइसन देश बा जहाँ डूबत भगवान सूर्य के पहिला पूजा कईला बाद में अर्घ्य देहल जाल जवना के बाद परिवार समेत व्रती महिला घर आ के पूरा परिवार के साथे घरे कोसी भरल जाला।छठ पूजा के पूरा परिवार रात भर जाग के छठी माई के गीत गावत रतजगा करेला लो, तथा मध्यरात्रि के बाद ही पुनः छठ घाट जाए के तैयारी शुरू हो जाला और फिर नहा धो के पूरा परिवार छठ घाट के तरफ प्रस्थान करेला।घंटों छठी मैया के पूजा कई जाला जैसे ही रात खत्म होला अउर भोर के उजाला दिखेला व्रती महिला लोग जे की व्रत कईले बाडी नदी घाट पोखर तालाब के ठंडा पानी में खड़ा होके घंटों भगवान भास्कर के उदय होखे के बाट जोहेली तथा उदयीमान भगवान भास्कर के पहिला लालिमा जैसे ही दिखेला महिला लोग भगवान भास्कर के दूसरा अर्घ्य देकर परिवार समाज देश दुनिया के सुख शांति के कामना के साथ ए महापर्व के समापन होला।

छठ पर्व के इतना बढ़ मान्यता बा की घर के पुरुष सदस्य जे कि बाहर रहकर नौकरी चाकरी करके कुछ पैसा कमाये ले,साल में चाहे कवनो पर्व में घर आवस चाहे नस आवस लेकिन छठ में घरे जरूर आ जइहे, काहे कि छठ पर्व के लोक आस्था के महापर्व कहल जाला।

छठ पर्व बितला के दो दिन बाद अक्षय नवमी के पर्व आएला, जवना में मान्यता बा की आंवला के पेड़ के नीचे खाना बना के पूरा परिवार के प्रसाद स्वरूप भोजन कईला से अक्षय होला लो यानी कि रोग ना होना।अक्षय नवमी के दो दिन बाद एकादशी व्रत आवेला जवना में भगवान विष्णु और तुलसी विवाह के आयोजन भी कईल जाला।

एह दिन के भी आपन खास मान्यता बा।अंत में एह महीना के अंतिम दिन यानी कार्तिक पूर्णिमा के दिन पूरा देश में गंगा स्नान कइल जाला।

जवना के गुरु पूर्णिमा भी कहल जाला। पूरा देश के लोग एह दिन नजदीकी जलाशय में स्नान करके दान दक्षिणा देहला के बाद ही कुछ अन्न जल के ग्रहण करेलें।कार्तिक पूर्णिमा के दिन से ही बिहार के बाबा हरिहर नाथ की पवित्र नगरी सोनपुर में एशिया के सबसे बड़का मेला के आयोजन के शुरुआत होला जवन की एक महीना चलेला।

कार्तिक पूर्णिमा से शुरु होके एक महीना तक चले वाला एह मेला में एइसन कवनों सामान नईखे जवन की एह मेला में ना मिले।

एहीं से सोनपुर में लागे वाला ई मेला के एशिया के सबसे बड़ा मेला के रूप में मान्यता बा।एकरा साथ ही बिहार के औरंगाबाद के देव में विश्वविख्यात सूर्य मंदिर में भी एक महीना तक पूजा पाठ के लाइन लागे ल।

एही से कहल जा सकेला के कार्तिक महीने में कवनों दिन अइसन नइखे जवना दिन पूजा-पाठ के आयोजन ना होखे।

परिचय

नाम– विक्रान्त कुमार ठाकुर
पिता का नाम–स्व•लक्खी चन्द्र ठाकुर
माता का नाम–लायची देवी
जन्म स्थान–गुठनी सीवान
शिक्षा–स्नातक, डीपीई,(इग्नू,नयी दिल्ली)
प्रकाशन- दिल कहता है, नवसृजन, भोजपुरिया अमन,
सम्मान-विश्व भोजपुरी सम्मान,शिक्षा रत्न सम्मान, मातृभाषा गौरव सम्मान,शिक्षक गौरव सम्मान,
संप्रति
ई-मेल-bikrantkumaraaj@gmail.com
कार्यालय- प्रधानाध्यापक नया प्राथमिक विद्यालय ममउर
प्रखंड गुठनी (सीवान)
पता–ग्राम +पोस्ट–गुठनी
थाना– गुठनी, जिला- सीवान
राज्य– बिहार PIN-841435
संपर्क नं•- 9471210549/9661017339

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