समाज आ आधुनिकता के आइना
समाज आ आधुनिकता के आइना

कौनो पढ़लिख के बड़का बाबू, तऽ कौनो सरकार भइल, जे कईलख न कुछु, ऊ पड़ल-पड़ल बेकार भइल। कहेले विधायक बाबु “पढ़ाई कराईब, बढ़ाईब आगे सबके”,
बाकिर आपन वादा जे पूरा करे, ना अइसन कौनो सरकार भइल। बुढ़ से लेके जवान तक, मोबाइल आ इंटरनेट के सिकार भइल,
बाकिर ओह पर समय सीमा लगावे, ना अइसन कौनो विचार भइल । बुढ़ त बुढ़, जवान भी अब बर्बाद होता लोग चारू ओर,
का इहे सब खातिर मोबाइल आ इंटरनेट के अविष्कार भइल ? देह के जोर-जबरदस्ती के, बनावल जाला वीडियो आज, हर मोबाइल में भेज-भेज, मांग-मांग के उठावल जाला राज। उमर आ छोट-बड़ के लिहाजो बिसर गइल बा ईहा सभे,
कौनो घटना पर सहयोग ना, पहिले वीडियो बनावे छोर के सब काज।
कबो प्यार में धोखा, तऽ बियाह में हत्या के खबर भइल, मनई के चेतना, समाज, ज्ञान – ना जाने कहाँ चल गइल,
कबो एही बात पर केहू हसि ठठा में मजा उठावेला।जब मनई कहावे वाला मनई ही, मानुस धरम बिसरत गइल।
आज के युवा जब प्यार करेला, तऽ बस देखावे खातिर,मोबाइल चलावेला, अश्लील रील बनावे खातिर।
तऽ इहे सब तऽ देखे-सुने के मिलेला आज चारू ओर,झूठ, धोखाधड़ी, बैमानी से, मन-तन बहलावे के हो गइल जोर। — निलेश प्रेमयोगी